Kingdom Movie Review: अगर हम कहानी की बात करे तो ये 1990 के दशक में शुरू होती है। सूरी (विजय देवरकोंडा) एक ईमानदार पुलिस कांस्टेबल होता है जिसे अपने लंबे समय से गायब भाई शिवा (सत्यदेव) की तलाश है। उसे पता चलता है कि शिवा श्रीलंका में एक स्मगलिंग गैंग का हिस्सा बन चुका है और उस गैंग का संचालन करता है। सरकार सूरी को एक अंडरकवर एजेंट के रूप में भेजती है ताकि वह इस गैंग के ऑपरेशंस का पर्दाफाश कर सके और अपने भाई से संपर्क स्थापित कर सके।
जब सूरी गैंग में घुसपैठ करता है तो वह अपने भाई शिवा तक पहुंच तो जाता है लेकिन कहानी कुछ अलग ही मोड़ ले लेती। है। क्या शिवा सूरी को पहचान पाएगा? क्या दोनों भाई एक हो पाएंगे या आमने-सामने खड़े होंगे? यही फिल्म का मुख्य ड्रामा है और अभी में आपको पूरी कहानी नहीं बताऊँगा उसके लिए भाई तुमको सिनेमाघर में जाकर देख सकते हो
अभिनय
विजय देवरकोंडा ने इस बार अपने किरदार को बेहद गंभीरता और संतुलन के साथ निभाया है। बिना किसी ओवरएक्टिंग के उन्होंने सूरी के दर्द और दुविधा को बड़ी सहजता से पेश किया है। सत्यदेव अपने किरदार में फिट हैं लेकिन स्क्रिप्ट उन्हें ज्यादा गहराई देने में चूक जाती है। दोनों भाइयों के बीच के कुछ दृश्य जरूर इमोशनलहैं, पर कहानी उन्हें पूरी तरह उभार नहीं पाती।
भाग्यश्री बोरसे का किरदारबहुत काम है। वे एक साधारण भूमिका में नजर आती हैं जो न कहानी को आगे बढ़ाती है और न ही दर्शक से जुड़ाव बना पाती है। वेंकिटेश वीपी, जो फिल्म के मुख्य खलनायक मुरुगन के रूप में सामने आते है अपने किरदार को दमदार तरीके से निभाते हैं।
तकनीकी पक्ष
निर्देशक गौतम तिन्ननुरी, जिन्होंने पहले ‘जर्सी’ जैसी फिल्म बनाई थी इस बार एक बड़े कैनवास पर काम करते हैं। हालांकि फिल्म का स्टाइल बढ़िया है लेकिन इसकी इमोशनल गहराई कमजोर पड़ जाती है।
सिनेमैटोग्राफी फिल्म की सबसे बड़ी ताकतों में से एक है। गिरीश गंगाधरन और जोमन टी. जॉन ने श्रीलंका के समुद्री इलाकों और गैंग ऑपरेशंस की दुनिया को बारीकी से कैमरे में कैद किया है। कुछ दृश्य तो इतने खूबसूरत हैं कि वे फिल्म को विजुअल ट्रीट बना देते हैं।
अनिरुद्ध रविचंदर का संगीत फिल्म के मूड के अनुसार काम करता है, लेकिन उनकी पिछली फिल्मों जैसी कोई नई बात नजर नहीं आती। नवीन नूली की एडिटिंग पहले हाफ में मजबूत है, लेकिन सेकंड हाफ में फिल्म की रफ्तार थोड़ी धीमी हो जाती है।
प्लस पॉइंट्स
- विजय देवरकोंडा का संतुलित और परिपक्व अभिनय
- सिनेमैटोग्राफी और लोकेशंस की शानदार प्रस्तुति
- वेंकिटेश का प्रभावशाली खलनायक किरदार
- कुछ एक्शन सीन और क्लाइमेक्स वाकई दमदार हैं
माइनस पॉइंट्स
- कहानी में ज्यादा नयापन नहीं है, कई हिस्से पुराने फिल्मों की याद दिलाते हैं
- इमोशनल कनेक्ट कमजोर है, खासकर भाई-भाई के रिश्ते को गहराई नहीं दी गई
- सपोर्टिंग किरदार अधूरे और कमजोर तरीके से लिखे गए हैं
- भाग्यश्री बोरसे का किरदार फिल्म में कोई विशेष योगदान नहीं देता
निर्णय
कुल मिलाकर Kingdom एक औसत से थोड़ी बेहतर एक्शन ड्रामा फिल्म है। इसकी सबसे बड़ी ताकत विजय देवरकोंडा का अभिनय है। हालांकि स्क्रिप्ट और इमोशनल डेप्थ में फिल्म कमजोर साबित हुई है फिर भी यह एक बार देखने लायक जरूर है खासकर अगर आप गंभीर और संजीदा एक्शन ड्रामा पसंद करते हैं।
हमारी रेटिंग: 3/5
फैसला: अगर ज्यादा उम्मीदों के साथ न जाएं, तो Kingdom एक ठीक-ठाक सिनेमाई अनुभव दे सकती है।
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