CMCHIS : पंजाब में 2 अक्टूबर से लागू होने जा रही “मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना” को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। कई नामी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने इस योजना में सामने आई खामियों की ओर इशारा किया है। खास बात यह है कि ये खामियां खुद उन कंपनियों ने उजागर की हैं, जिन्हें राज्य सरकार ने योजना लागू करने के लिए बुलाया था।
क्या है CMCHIS योजना का प्लान?
मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार इस योजना को पूरे पंजाब में लागू करने जा रही है जिसका मकसद है लोगों को सालाना 10 लाख रुपए तक का कैशलेस हेल्थ कवर देना। सरकार ने इस काम के लिए देश की नामचीन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को आमंत्रित किया — जिनमें Star Health, Adani Group की इंश्योरेंस कंपनी, Bajaj Allianz जैसी कंपनियां शामिल हैं।
इन कंपनियों ने जब योजना की डिटेल्स को गहराई से समझा, तो कई अहम सवाल खड़े किए।
5 लाख का ‘आयुष्मान’ और 10 लाख का ‘CM बीमा’ — कैसे होगा हिसाब?
सबसे बड़ा मुद्दा ये उठा कि जिन लोगों को पहले से ही आयुष्मान भारत योजना के तहत सालाना ₹5 लाख तक का हेल्थ कवर मिल रहा है, उन्हें फिर से मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना के तहत ₹10 लाख तक का कवर क्यों और कैसे दिया जाएगा?
कंपनियों ने कहा कि इससे डबल फंडिंग और बजट क्लैश जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं। एक ही लाभार्थी को दो योजनाओं से कैसे जोड़ा जाएगा? क्या इसके लिए एक कॉमन कार्ड जारी होगा?
फंडिंग को लेकर भी उठे सवाल
पंजाब पहले से ही वित्तीय संकट से जूझ रहा है। ऐसे में 3.5 करोड़ लोगों को हर साल ₹10 लाख तक का बीमा कवर देना कितना व्यवहारिक होगा? इंश्योरेंस कंपनियों ने इस पर भी चिंता जताई है कि:
- सरकार के पास इसका सस्टेनेबल फंडिंग प्लान क्या है?
- अगर बजट नहीं जुटा, तो योजना बीच में ही ठप हो सकती है।
वोटर ID शर्त से और बढ़ सकती हैं दिक्कतें
इस योजना का लाभ सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलेगा जिनका नाम पंजाब की वोटर लिस्ट में है। इसका मतलब है कि बाहर के राज्य के लोग अगर लाभ लेना चाहें तो वे अपना नाम पंजाब की वोटर लिस्ट में जुड़वाकर फर्जी तरीके से इसका फायदा उठा सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं करना चाइये
इंश्योरेंस कंपनियों ने चेताया है कि इससे:
- फर्जी पंजीकरण बढ़ सकते हैं,
- और राज्य की मतदाता सूची में असली-नकली वोटरों की पहचान मुश्किल हो सकती है।
सरकार के सामने पेश की गई रिपोर्ट
इन सभी पहलुओं को कंपनियों ने एक रिपोर्ट के जरिए पंजाब सरकार के सामने रखा है। कंपनियों का साफ कहना है कि अगर इन खामियों को दूर नहीं किया गया तो योजना लागू करने में भारी अड़चनें आ सकती हैं।
अब आगे क्या?
अब सबकी निगाहें मान सरकार पर टिकी हैं कि वह इन सवालों का क्या जवाब देती है। क्या सरकार इस योजना को मजबूत ढांचे के साथ लागू करेगी, या फिर शुरू होने से पहले ही योजना सवालों में घिर जाएगी?
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📌 निष्कर्ष: मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना एक सराहनीय पहल है, लेकिन बिना ठोस योजना और फंडिंग मॉडल के इसे लागू करना मुश्किल हो सकता है।
अब देखना ये होगा कि सरकार इन खामियों को दूर करके पंजाब के लोगों को वाकई में राहत दे पाती है या नहीं।
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